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डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः । 

॥ ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीम् ॥

बटुकायेति विज्ञेयं महापातकनाशनम् ॥ ७॥



साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।



तस्य पादाम्बुजद्वन्दं राज्ञां मुकुटभूषणम् ॥ २६॥

नैॠत्यां क्रोधनः पातु click here उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।

न चाप्नोति फलं तस्य परं नरकमाप्नुयात् ॥ २८॥







भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ॥ ७॥

बाटुकं कवचं दिव्यं शृणु मत्प्राणवल्लभे ।

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